रविवार, १७ एप्रिल, २०१६

रामनवमी

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राम-सीता नांदे जेथे,
तेथे अहंकार कोठे?
जेथे रामाचे स्मरण,
तेथे अहंकाराचे होई विस्मरण !
'मी'पण जाते जेव्हा,
राम प्रगटतो तेव्हा तेव्हा,
नवा मी होई केव्हा?
रावणाचे दहन होई तेव्हा !
सीतामाई (सुख) येती घरा,
तोची दिवाळी दसरा,
रामनवमीचा सण साजरा,
चला करूया घरा घरा !
मयुर तोंडवळकर........!!!
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