शनिवार, २७ ऑगस्ट, २०१६

भगवानकी चाह!!!

👉🏼👉🏼एक नगर के राजा ने यह घोषणा करवा दी कि कल जब मेरे महल का मुख्य दरवाज़ा खोला जायेगा..

तब जिस व्यक्ति ने जिस वस्तु को हाथ ✋🏼लगा दिया वह वस्तु उसकी हो जाएगी..

इस घोषणा को सुनकर सब लोग आपस में बातचीत करने लगे कि मैं अमुक वस्तु को हाथ लगाऊंगा..

कुछ लोग कहने लगे मैं तो स्वर्ण को हाथ लगाऊंगा, कुछ लोग कहने लगे कि मैं कीमती जेवरात💍 को हाथ लगाऊंगा, कुछ लोग घोड़ों 🐎 के शौक़ीन थे और कहने लगे कि मैं तो घोड़ों को हाथ लगाऊंगा, कुछ लोग हाथीयों 🐘को हाथ लगाने की बात कर रहे थे, कुछ लोग कह रहे थे कि मैं दुधारू गौओं 🐄को हाथ लगाऊंगा..

कल्पना कीजिये कैसा
अद्भुत दृश्य होगा वह !!

उसी वक्त महल का मुख्य दरवाजा खुला और सब लोग अपनी अपनी मनपसंद वस्तु को हाथ लगाने दौड🏃..

सबको इस बात की जल्दी थी कि पहले मैं अपनी मनपसंद वस्तु को हाथ लगा दूँ ताकि वह वस्तु हमेशा के लिए मेरी हो जाएँ और सबके मन में यह डर भी था कि कहीं मुझ से पहले कोई दूसरा मेरी मनपसंद वस्तु को हाथ ना लगा द 😱..

राजा 👑अपने सिंघासन पर बैठा सबको देख रहा था और अपने आस-पास हो रही भाग दौड़ 🏃🏃को देखकर मुस्कुरा रहा था 😊..

उसी समय उस भीड़ में से एक छोटी सी लड़की आई और राजा की तरफ बढ़ने लगी..

राजा उस लड़की को देखकर सोच 🤔में पढ़ गया और फिर विचार करने लगा कि यह लड़की बहुत छोटी है शायद यह मुझसे कुछ पूछने आ रही है..

वह लड़की 🚶🏼🚶🏼धीरे धीरे चलती हुई राजा के पास पहुंची और उसने अपने नन्हे हाथों ✋🏼 से राजा को हाथ लगा दिया..

राजा को हाथ लगाते ही राजा उस लड़की का हो गया और राजा की प्रत्येक वस्तु भी उस लड़की की हो गयी..
.
.
जिस प्रकार उन लोगों को राजा ने मौका दिया था और उन लोगों 😧 ने गलती की..

ठीक उसी प्रकार  ईश्वर😊 भी हमे हर रोज मौका😃 देता है और हम हर रोज गलती😞 करते है..

हम ईश्वर को पाने की बजाएँ
ईश्वर की बनाई हुई संसारी वस्तुओं
की कामना 😏करते है और
उन्हें प्राप्त करने के लिए प्रयत्न करते है

पर हम कभी इस बात पर विचार नहीं करते कि यदि ईश्वर हमारे हो गए तो उनकी बनाई हुई प्रत्येक वस्तु भी हमारी हो जाएगी..

ईश्वर को चाहना और
ईश्वर से चाहना..
दोनों में बहुत अंतर है|

[8/27, 2:43 PM] Mayur Tondwalkar:
🙏🍀🌻🌺☘🌸🌷👏🙏

चाह करो ऊस ईश्वर की,
जो खुदही इस संसारका स्वामी है,
काहेको तड़पते हो उस संसारकी माया पानेके लिए, जिसे रबने ही खूद बनवाया है !!

भगवन जब मिल जाये हमे,
क्यो ख्वाईश रखनी है माया और काया की,
ऊसीके चरणमें शरण लो,
प्यास धरो उस सावण की!!

अखंड बहता जाये निर्झर,
भगवान की छवी ना ऑखसे हटे,
दर्शन पाते ही ऊस विश्वरूपका,
आखे रह जायेगी फटे की फटे!!!

🙏🌸☘🌺🌻🍀🌷👏🙏

बुधवार, २४ ऑगस्ट, २०१६

सुमनाचे मनोगत

सुमन - शब्द किती सोपा, अर्थही सोपेच. फुलाला सुमन देखील म्हटले जाते आणि "सु मन" म्हटल्यावर त्याचा अर्थ चांगले मन देखील होतो. तर अशा ह्या "सुमनाने" म्हणजे फुलाने ठरविले की आपण नेहमी भगवंताच्या गळ्यात मिरविण्यापेक्षा भगवंताच्या चरणावरच स्थिर कां होवू नये? गळ्यात तर सगळेच पडतात, चरणांवर स्थिर कोणी व्हावयाचे? आणि असा विचार मनात येताच "सु-मनच" ते चक्क भगवंताच्या चरणांवर माथा टेकते झाले.

भगवंताच्या चरणांची महती वेगळी सांगायची गरज नाही. जे चरणात आहे, ते इतर कोणत्याही ठिकाणी सापडणार नाही. जो भक्त त्या सताच्या चरणात लिन झाला आहे, त्याला काय कमी आहे? सत् चरण सापडणे कठीण आणि जर कां ते आपल्याला सापडले तर टिकविणे त्याहून कठीण. मग "सुमना"चे "सु-मनाने" जो विचार केला तो यथायोग्यच नाही काय?

तर भक्तगण हो, चला तर आपणही आपल्या सताच्या चरणांवर माथा टेकवूया आणि स्थिर होण्याचा प्रयत्न करूया. सत् चरणात रत होऊ या, त्या सुमनासारखे.

मंगळवार, २३ ऑगस्ट, २०१६

ओ भगवन मेरे (2)

ओ भगवन मेरे ऽऽऽ!!
कब होगे दर्शन तेरे!!!
ओ भगवन मेरे ऽऽऽ!!!

तरस रहा हू कबसे!!
आशा लगाये मनसे!!
राह देख रहा हू तन, मन, धनसे!!!

ओ भगवन मेरे ऽऽऽ!!
कब होगे दर्शन तेरे!!!
ओ भगवन मेरे ऽऽऽ!!!

जिंदगी क्या भरोसा ?
आज हू, कल रहू न रहू!!
सिर्फ तुम्हारे चरणको छुहू!!
यही हैं एक अभिलाषा!!

ओ भगवन मेरे ऽऽऽ!!
कब होगे दर्शन तेरे!!!
ओ भगवन मेरे ऽऽऽ!!!

ओ भगवन मेरे (1)

ओ भगवन मेरे ऽऽऽ !
कर दे ऽऽ दर्शन ऽऽ तेरे !!

आया हू मैं दरपे  तेरे !!!

ओ भगवन मेरे ऽऽऽ !
कर दे ऽऽ दर्शन ऽऽ तेरे !!

ना समज हैं मुझमें भारी !
ना मुझमें हैं होशियारी!!
बस एकही कामना भारी!!!
सिर्फ दर्शन हो आते ही दरबारी!!!

आया हू मैं दरपे  तेरे !!!

ओ भगवन मेरे ऽऽऽ !
कर दे ऽऽ दर्शन ऽऽ तेरे !!

मैं हू  बालक अज्ञानी !
चाहता हू हो जाये सज्ञानी!!
आपके निरंतर सहवासमे !!!
भूल जाऊ सब कुछ शैतानी!!!

आया हू मैं दरपे  तेरे !!!

ओ भगवन मेरे ऽऽऽ !
कर दे ऽऽ दर्शन ऽऽ तेरे !!
............मयुर तोंड़वळकर.......